आधुनिक जीवनशैली में, स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। बीपी यानि ब्लड प्रेशर हमारे स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पैमाना होता है। इसे सामान्यतः "ब्लड प्रेशर" के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या होता है ब्लड प्रेशर? इसके प्रकार क्या होते हैं? और क्या होता है जब इसका स्तर नीचे चला जाता है? इस ब्लॉग में हम जानेंगे बीपी कम होने के लक्षण, कारण और उपाय।
बीपी का संतुलित होना हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमारे दिल की सेहत, उच्च रक्तचाप के खतरे, और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए, बीपी कम होने के लक्षणों को जानना और उनका समय रहते उपचार करना जरूरी है।
ब्लड प्रेशर क्या होता है? (What is Blood Pressure in hindi)
ब्लड प्रेशर शारीरिक स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण पैमाना होता है जो रक्त के धारावाहिक सिस्टम के माध्यम से निर्धारित किया जाता है। इस प्रक्रिया में, हृदय से उत्पन्न होने वाला दबाव रक्त को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने का कार्य करता है। ब्लड प्रेशर का माप दो संख्याओं में किया जाता है - सिस्टोलिक प्रेशर और डायस्टोलिक प्रेशर। सिस्टोलिक प्रेशर यानी उच्चतम प्रेशर होता है जब हृदय के संवेगनक चरम अवस्था में होता है, जबकि डायस्टोलिक प्रेशर यानी निम्नतम प्रेशर होता है जब हृदय के संवेगनक शांत होते हैं। यह दोनों प्रेशर विशेष रूप से मिलकर हमारे स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं, और उनके स्तर का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि विभिन्न रोगों और समस्याओं की आशंका कम हो।
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ब्लड प्रेशर कितने प्रकार का होता है? (How many types of blood pressure are there in hindi?
ब्लड प्रेशर को मुख्यतः दो प्रकार में विभाजित किया जाता है - उच्च ब्लड प्रेशर और कम ब्लड प्रेशर।
- उच्च ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) - यह स्थिति जब होती है जब व्यक्ति के रक्त के धारावाहिकों में दबाव असामान्य रूप से अधिक होता है। यह अधिकतम रक्तचाप की स्थिति होती है और अक्सर "हाईपरटेंशन" के रूप में भी जाना जाता है। यह स्थिति अगर नजरअंदाज की जाए तो संबंधित समस्याओं जैसे कि हृदय रोग, दिल की बीमारियाँ, और अधिक उच्च रक्तचाप के खतरे को बढ़ा सकती है।
- कम ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure) - इसकी स्थिति में, व्यक्ति के रक्त के धारावाहिकों में दबाव सामान्य से कम होता है। यह अधिकतम रक्तचाप की गिरावट की स्थिति होती है और यह सामान्यतः "लो ब्लड प्रेशर" के रूप में भी जाना जाता है। यह स्थिति भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जैसे कि चक्कर आना, कमजोरी, और अकसर उबाऊ और थकावट महसूस होना।
इन दोनों प्रकार के ब्लड प्रेशर का मानव शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव होता है, और इन्हें सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया जाना चाहिए।
लो बीपी कितना होता है? ( How much blood pressure is low in Hindi)
लो ब्लड प्रेशर सामान्यतः एक निश्चित सीमा में होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जब ब्लड प्रेशर 90/60 मिमी ऑफ़् ग़ेर्क्यूरी से कम होता है, तो इसे लो ब्लड प्रेशर कहा जाता है।
लो ब्लड प्रेशर में अक्सर व्यक्ति चक्कर आना, चक्करात्मक अस्थिरता, थकावट, और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। यह स्थिति अक्सर अवसाद, भूख की कमी, और थकावट की अवस्था में भी ले जाती है। लो ब्लड प्रेशर के मामले में व्यक्ति को ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है ताकि उनका रक्तचाप बढ़ सके। इसके अलावा, अपने खान-पान में नमक की मात्रा को बढ़ाना भी इस स्थिति में मदद कर सकता है।
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लो बीपी कितने प्रकार का होता है? ( Types of low blood pressure in hindi)
प्राथमिक बीपी की तरह (Primary Hypotension), जिसे आकस्मिक ब्लड प्रेशर गिरावट भी कहा जाता है, यह हार्मोनल संतुलन में परिवर्तन, बढ़ी हुई वसा ऊत्पादन, या जिर्णात्मक रोगों के कारण हो सकता है। यह अधिकतम रक्तचाप के लक्षणों में समान हो सकता है, जैसे कि चक्कर आना, थकान, और थकान।
ऑर्थोस्टेटिक लो बीपी (Orthostatic Hypotension) भी एक प्रकार की है, जिसमें व्यक्ति के बीपी गतिविधि को विस्तार से बदलने के बाद खड़े होने पर रक्तचाप में असामान्य गिरावट होती है। यह आमतौर पर जिर्णात्मक बीमारियों, अधिक से अधिक समय तक बिस्तर पर लेटने, या दवाओं के उपयोग से हो सकता है।
सेकेंडरी लो बीपी (Secondary Hypotension), जिसे अनियमित ब्लड प्रेशर गतिविधि भी कहा जाता है, यह किसी अन्य मौखिक स्वास्थ्य समस्या या बीमारी के कारण होता है, जैसे कि डायबिटीज़, किडनी रोग, या दिल की बीमारी। इस प्रकार की लो बीपी जनमानस को संतुष्ट रखता है लेकिन यह समस्या गंभीर बीमारियों के लक्षण के रूप में विकसित हो सकती है।
लो बीपी क्यों होता है?
- दर्दनाक खानपान: अत्यधिक दी गई मसालेदार, तला हुआ, या अधिक मसालेदार खाना खाने से, खाने की गलत रेगुलरिटी, और कम पानी पीने से लो बीपी हो सकता है।
- तनाव: अत्यधिक तनाव और चिंता लो बीपी का कारण बन सकते हैं क्योंकि यह हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे रक्तचाप कम हो सकता है।
- रक्त की हार्मोनल संतुलन में बदलाव: यहाँ तक कि गर्भावस्था के दौरान, शिशु के प्रति रक्त संवहन की आवश्यकता से रक्तचाप कम हो सकता है।
- अनेक रोगों की दवाओं का सेवन: कुछ दवाओं का उपयोग करने से लो बीपी हो सकता है, जैसे कि दिल की बीमारियों, डायबिटीज, या अलर्जी उपचार के दौरान।
- रक्त संवहन की समस्या: कुछ लोगों में रक्त संवहन की समस्या होती है, जिससे रक्तचाप कम हो सकता है। यह अक्सर अनियमित और अस्थिर ब्लड प्रेशर का कारण बनता है।
- उम्र: वयस्कों में, वसा, मांसपेशियों, और संयुक्त रूप से हार्मोन का घटना होता है, जिससे उनका ब्लड प्रेशर कम हो सकता है।
- खोखलापन या दर्दनाक शोक: यह स्थिति जब होती है जब किसी को अधिक रक्त हानि होती है, जैसे कि एक दर्दनाक दुर्घटना या महत्वपूर्ण रक्तसंचार की रोकथाम, जिससे उनका ब्लड प्रेशर अस्थिर हो सकता है।
लो बीपी के लक्षण: (Low bp symptoms in Hindi)
- चक्कर आना: यह एक सामान्य लक्षण है जिसे लो बीपी में अक्सर अनुभव किया जाता है। यह अस्थिरता के एक प्रमुख संकेत हो सकता है जो शरीर का सामान्य कार्यक्रम प्रभावित कर सकता है।
- थकान: लो बीपी में, व्यक्ति अधिक थका हुआ और कमजोर महसूस कर सकता है। यह थकान का अनियमित अनुभव को दर्शाता है जो रक्त प्रवाह में कमी के कारण होता है।
- श्वास की कमी: लो बीपी में, व्यक्ति को श्वास की कमी की समस्या हो सकती है, जिससे वे अपने आध्यात्मिक कार्यों को सम्पन्न करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।
- चेहरे की पीलापन: लो बीपी में, व्यक्ति के चेहरे की त्वचा में पीलापन दिख सकता है, जो रक्त प्रवाह में कमी के कारण हो सकता है।
- चक्कर आना: यह एक अत्यधिक प्रमुख लक्षण है जो लो बीपी के व्यक्ति में अनुभव किया जा सकता है। यह जीवन की गतिविधियों को प्रभावित करके अस्थिरता का कारण बन सकता है।
- मुंह सूखना: लो बीपी में, मुंह की सूखापन की समस्या हो सकती है, जो रक्त प्रवाह में कमी के कारण हो सकती है।
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: लो बीपी के व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, और उन्हें मन को शांत और स्थिर रखने के लिए अधिक सततता की आवश्यकता होती है।
लो बीपी के परिणाम:( Consequences of Low Blood Pressure )
- हृदय पर प्रभाव: लो बीपी के चलते, हृदय को अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यह रक्त प्रवाह में कमी के कारण हृदय को अधिक प्रयास करना पड़ सकता है। यह भयंकर बीमारियों जैसे कि दिल की संबंधित समस्याओं, हृदय गति असमानता, और आईस्कीमिक हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है।
- मस्तिष्क संबंधित समस्याएं: लो बीपी वाले व्यक्ति को चक्कर आने की समस्या हो सकती है, जिससे वे अपनी दैनिक गतिविधियों को संचालित करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा, अधिक ध्यान केंद्रित करने में भी कई बार परेशानी होती है।
- स्तनपान संबंधित समस्याएं: इस स्थिति में, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को ध्यान देने की अधिक आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि यह बच्चे के प्रति रक्त संवहन को प्रभावित कर सकता है। यह भविष्य के स्तनपान के अवसरों को प्रभावित कर सकता है और स्तनपान के दौरान मां को अधिक चिंता हो सकती है।
- ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं: लो बीपी वाले व्यक्तियों को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इसके कारण वे अधिक चिंतित और उत्साहहीन हो सकते हैं।
- सामाजिक प्रभाव: लो बीपी वाले व्यक्ति को सामाजिक संदेश और सामाजिक संबंधों में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि उन्हें अधिक ध्यान केंद्रित करने में समय और प्रयास की आवश्यकता हो सकती है।
बीपी लो होने पर क्या करें?
- शांति और आराम: लो बीपी के समय में, व्यक्ति को शांति और आराम की आवश्यकता होती है। यह शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करके स्थितिगत कर सकता है।
- तत्काल चिकित्सा उपाय: यदि व्यक्ति लो बीपी के लक्षणों का सामना कर रहा है, तो उन्हें तत्काल चिकित्सा उपायों की तलाश करनी चाहिए, जैसे कि चिकित्सक से परामर्श लेना।
- प्राकृतिक उपायों का अनुसरण: बीपी को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक उपायों का अनुसरण करना भी मददगार हो सकता है, जैसे कि नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, और प्राकृतिक चिकित्सा।
- उचित विश्राम: अधिक आराम लेना और शारीरिक काम की मात्रा को कम करना बीपी के सामान्य नियंत्रण में मदद कर सकता है।
- अल्पाहार और पानी का सेवन: अल्पाहार का सेवन करना और प्रायः पानी पीना भी लो बीपी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
लो बीपी में क्या खाएं?
- प्रोटीन और विटामिन समृद्ध आहार: हरी सब्जियाँ, फल, और नट्स जैसे प्रोटीन और विटामिन समृद्ध आहार खाना लो बीपी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- फल और सब्जियाँ: तरल पदार्थों का अधिक सेवन करने से लो बीपी में सुधार हो सकता है, जैसे कि तरबूज, नारियल पानी, ककड़ी, और खीरा।
- दूध और दूध संबंधित उत्पाद: दूध, दही, पनीर, और अन्य दूध संबंधित उत्पादों का सेवन करना भी लो बीपी को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है।
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लो बीपी का इलाज
- डॉक्टर के सुझाव का पालन: लो बीपी का सही इलाज चिकित्सक के सुझाव के अनुसार होना चाहिए, जो आपकी स्थिति के आधार पर दवाओं और उपायों का परामर्श देंगे।
- दवाओं का सेवन: चिकित्सक द्वारा प्रायः दिए गए दवाओं का नियमित सेवन करना लो बीपी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- जीवनशैली में परिवर्तन: जीवनशैली में परिवर्तन करना, जैसे कि नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, और ध्यान करने के तरीके, लो बीपी को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है।
निष्कर्ष
ब्लड प्रेशर कम होना एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जिसका समय पर पहचान और उपचार से नियंत्रण किया जा सकता है। सही आहार, नियमित व्यायाम, और नियमित चेकअप के माध्यम से हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं। इसके अलावा, अपने डॉक्टर की सलाह और निरंतर मेडिकल समर्थन की जरूरत होती है। नियमित स्वास्थ्य जाँच के लिए सभी निर्दिष्ट नियमों का पालन करना जरूरी है। इससे आप ब्लड प्रेशर की समस्याओं को समय रहते पहचान और उपचार कर सकते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को सुरक्षित और स्थिर रखेगा।